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मध्यप्रदेश के इन शहरों में नहीं खा सकेंगे तंदूरी रोटी,तंदूर की रोटियां बैन

होटलों-ढाबों को नोटिस जारी,तंदूर की रोटियां बनाने पर लगेगा 5 लाख रुपये का जुर्माना

एमपी में तंदूरी रोटी खाने वालों के लिए एक बुरी खबर है। अब भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में तंदूरी रोटी नहीं मिल सकेगी। मध्यप्रदेश में बढ़ते प्रदूषण के चलते कुछ शहरों के ढाबा एवं होटलों में तंदूर पर बैन लगा दिया गया है। सरकार के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 5 लाख तक का जुर्माना किया जा सकता है। साथ ही कहा है कि लकड़ी और कोयला आधारित तंदूर का उपयोग बंद कर दें। 

चार बड़े शहरों में बदलाव की तैयारी

एमपी के चारों महानगरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में तंदूर के वैकल्पिक सुझाव दी जाएगी। वायु प्रदूषण के दृष्टिगत इलेक्ट्रिक या LPG साधनों का प्रयोग किया जाए। लंबे समय से पीसीबी प्रदूषण कम करने के विकल्पों की तलाश कर रहा है। सरकार के साथ मिलकर नई तैयारी की जाएगी। हाल ही में जबलपुर में खाद्य सुरक्षा विभाग ने तंदूर पर रोक लगाने के ऑर्डर जारी किए थे।  तंदूर में अधिकतर रोटी बनती है।  

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ढाबे-होटलों पर पड़ेगा भारी असर

जारी आदेश में खाद्य विभाग ने होटल और ढाबों के संचालकों को साफ तौर से कहा है कि अब लकड़ी-कोयला के तंदूर का उपयोग नहीं होगा। इसके बदले में इलेक्ट्रिक ओवन या LPG गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करने के भी निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश में तंदूरी रोटी का जबरदस्त चलन है। तंदूरी रोटी खाने के प्रदेश में लोग बड़े ही शौकीन हैं। लेकिन प्रदेश सरकार के इन निर्देशों के बाद तंदूरी रोटी खाने वाले शौकीनों को तो झटका लगा ही है। साथ ही इस आदेश ने ढाबे-होटल के मालिकों की भी नींद उड़ा दी है। ढाबा मालिकों को अंदेशा है कि सरकार के इन आदेशों के बाद ढाबा होटल कारोबार पर जबरदस्त असर पड़ेगा।

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जनता ने माना कि नुकसानदायक है तंदूर

राजधानी भोपाल में सुबह-सुबह भी दुकानों पर तंदूर जलते मिले। दुकानदारों का कहना है कि अगर निर्देश जारी होते है, तो तंदूर बंद करेंगे। इसके विकल्प ढूँढने के कोशिश करेंगे,जिससे नुकसान ना हो। जनता ने कहा कि ये पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए नुकसानदायक है। दुकानदार को वैकल्पिक विकल्प ढूँढने की जरूरत है। ऐसा प्रदूषण कहीं ना कहीं शरीर को आगे आने वाले समय में हानिकारक पहुंचा सकते है, ऐसा कुछ लागू हो जिससे जनता और दुकानदार दोनों का नुकसान ना हो।

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तंदूर की रोटियों में कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा भी ज्यादा

खाद्य सुरक्षा अधिकारी पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए होटल और रेस्टोरेंट में चलने वाले तंदूर की भट्टियों पर रोक लगाया गया है। साथ ही, तंदूर की रोटियों में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी ज्यादा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। सभी होटल, रेस्टोरेंट और ढाबा संचालक को आदेश के पालन के लिए तीन दिनों का समय दिया गया है।

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इलेक्ट्रिक तंदूर की समस्या

  • इलेक्ट्रिक तंदूर की कॉइल गर्म हो जाती है, तो करंट का खतरा बढ़ जाता है।
  • मिट्टी के तंदूर में तपन अच्छी होती है, जबकि इलेक्ट्रिक तंदूर में हीट कम होने के कारण रोटियां खराब हो जाती हैं।
  • मिट्टी के तंदूर की कीमत 5 से 6 हजार होती है, जबकि इलेक्ट्रिक तंदूर 15 से 20 हजार रुपए है।
  • वर्तमान में जबलपुर में इलेक्ट्रिक तंदूर उपलब्ध नहीं हैं।

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