धर्म

JANMASHTMI – जानिए कृष्ण जन्माष्टमी पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

धार्मिक रिपोर्टर जितेंद्र दुबे उज्जैन की विशेष पेशकश

WWW.NEWSMERCHANTS.COM श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर आपके लिए संपूर्ण पूजा विधि लेकर आए हैं। यह त्योहार कृष्ण भक्तों के लिए एक उत्सव के समान होता है, जिसे हर हिंदू घर में पूरी भक्ति और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दौरान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की ज़ोरों-शोरों से तैयारियां की जाती हैं, और उसी में आपकी मदद करने के लिए आज आपको इस पूजा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा के लिए उपासकों को किन किन चीज़ों की आवश्यकता होगी-

जिसमें बालगोपाल के लिए झूला, बालगोपाल की धातु की मूर्ति, बांसुरी, बालगोपाल के वस्त्र, श्रृंगार के गहने, बालगोपाल के झूले को सजाने के लिए फूल, तुलसी के पत्ते, चंदन, कुमकुम, अक्षत, मिश्री, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, तुलसी की माला, खड़ा धनिया, लाल वस्त्र, केले के पत्ते, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मक्खन, गंगाजल, धूप बत्ती, कपूर, केसर, फल और गंगा जल।

पूजा के लिए इन चीजों की तैयारियां करने बाद, अब गोकुल अष्टमी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल जल मिले पानी से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मन में श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। जल और कुश (शुभ कार्यों में उपयोग की जाने वाली घास) के साथ सूर्य को अर्घ्य दें।

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अपने घर में श्री कृष्ण का झूला फूलों और अन्य सजावटों से सजाएं। यदि आप अपने घर में कृष्ण का झूला सजाने में समर्थ नहीं हैं, तो पास के ही किसी कृष्ण मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करें। (इस पर्व पर लगभग हर मंदिर में लड्डू गोपाल का झूला सजाया जाता है।)

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लड्डू गोपाल की मूर्ति को झूले पर स्थापित करें। अर्धरात्रि में कृष्ण के जन्म से पहले बाल गोपाल की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान करवाएं और फिर कान्हा को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। फिर उनकी मूर्ति को पुनः झूले पर स्थापित करें और उनकी प्रिय बांसुरी भी मूर्ति के पास में रख दें।

अब पूजा स्थल पर चौकी बनाकर उस पर पान का पत्ता रखें, फिर उसके ऊपर एक सिक्का रखकर सुपारी को उस पर स्थापित करें। फिर पूजा स्थल पर घी का दीपक, धूपबत्ती व अगरबत्ती लगाएं।

इसके अलावा मध्य रात्रि तक कीर्तन-भजन करें और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाएं । अब रात में 12 बजे आप भगवान का जन्मोत्सव मनाएं और उनको झूला झूलाएं।

अब लड्डूगोपाल को चन्दन, कुमकुम, अक्षत, पुष्पमाला इत्यादि चढ़ाएं। इसके बाद माखन-मिश्री, पंजीरी, फल (ककड़ी, केला, पपीता या कोई भी मौसमी फल) और पंचामृत का भोग लगाएं। भोग को तुलसी के पत्तों से अवश्य सजाएँ। क्योंकि इसके बिना भोग अधूरा माना जाता है।

पूजा की थाल सजाकर भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें। इसके बाद आराम से झूले को हिलाते हुए श्री कृष्ण से प्रार्थना करें, और प्रसाद सब में वितरित करके खुद भी भोग को ग्रहण कर लें।

चलिए अब हम लोग बात करते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त की-

इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5249 वाँ जन्मोत्सव दिनांक 18 अगस्त दिन बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। आपको बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अष्टमी तिथि का प्रारंभ 18 अगस्त को रात में 9 बजकर 20 मिनट पर होगा और समापन 19 अगस्त को रात में 10 बजकर 59 मिनट पर होगा।

वहीं इस दिन निशिथ काल पूजा का समय रात में 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसकी कुल अवधि 44 मिनट की रहेगी। सामान्यतः जन्माष्टमी व्रत का उद्यापन अथवा पारण निशिथ काल की पूजा के बाद में किया जाता है।

तो इस लेख में आपने जाना कि किस प्रकार आप विधि-विधान से कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा कर सकते हैं और किस मुहूर्त पर पूजा कर सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की अन्य जानकारियों के लिए बने रहिए www.newsmerchants.com पर।

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