धर्म

खरमास 2023: कब शुरू होगा साल का आखिरी खरमास, इस दौरान क्यों रुक जाते हैं शुभ काम?

खरमास, यानी अशुभ महीना, हिंदू परंपराओं में एक ऐसे समय को चिह्नित करता है जब शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। यह वर्ष के अंत में होता है और आमतौर पर दिसंबर के महीने में शुरू होता है।

खरमास: खर शब्द, संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है गधा। खरमास से संबंधित प्रचलित मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि एक बार सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे और उन्हें कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं थी। कहा जाता है कि अगर वह रुक जाते तो उसी दिन सारी गतिविधियां बंद हो जातीं। कुछ समय बाद, आराम न मिलने के कारण रथ से जुड़े घोड़े प्यासे और थक गए। यह देखकर सूर्य देव ने तनाव में आकर रथ को नदी के तट पर खड़ा कर दिया ताकि घोड़े अपनी प्यास बुझा सकें और थोड़ा आराम कर सकें। लेकिन उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं रहा कि घोड़ों के रुकते ही पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच जाएगा। जब घोड़े पानी पीने लगते है तो पूरा संसार ठहर सा जाता है और कई प्रकार की मुश्किलें सामने आने लगती है। ऐसे में सूर्यदेव की गति का असर हर राशि के जातकों के जीवन में पड़ने के साथ मांगलिक कार्यों पर पड़ता है।

जानिए खरमास 2023 दिसंबर में कब ?

साल 2023 का आखिरी खरमास 16 दिंसबर 2023 से लग रहे हैं। इसका समापन 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति पर होगा। दिसंबर में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन धनु संक्रांति मनाई जाती है। खरमास को मलमास भी कहते हैं। सूर्य एक महीने तक धनु राशि में रहेंगे।

जानिए खरमास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य?

शास्त्रों के मुताबिक, सूर्य जब बृहस्पति की राशि धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दौरान वह अपने गुरु की सेवा में रहते हैं ऐसे में सूर्य की प्रभाव कम हो जाती है। साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कमजोर होता है। शुभ कार्य के लिए इन दोनों ग्रहों की मजबूत होना जरूरी है। यही वजह है कि इसमें मांगलिक कार्य फलित नहीं होते इसलिए इसे अशुभ मास माना गया है।

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जानिए खरमास में क्या न करें

  • खरमास में विवाह, सगाई करना वर्जित हैं, मान्यता है कि इससे व्यक्ति को दांपत्य जीवन में कई तरह परेशानियां झेलनी पड़ती है, वैवाहिक सुख नहीं मिल पाता।
  • इस अवधि में नए घर में प्रवेश न करें, कहते हैं इससे दोष लगता है और परिवार में अशांति रहती है।
  • खरमास में नए व्यापार की शुरुआत नहीं करते क्योंकि इससे जीवन में संघर्ष बढ़ जाता है और सफलता मिलने की संभवानाएं कम हो जाती है।
  • मुंडन, जनेऊ संस्कार और कान छेदन भी खरमास में वर्जित है, इससे साधक पर नकारात्मक असर पड़ता है।

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खरमास के दौरान क्या करें?

  • खरमास के दौरान भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा निभाई गई है। ऐसा माना जाता है कि पूजा करने से व्यक्ति को शांति और समृद्धि प्राप्त होती है और मां लक्ष्मी की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा यह महीना दान, जप आदि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से दान करता है, उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  •  ब्राह्मण, गाय, संत आदि की सेवा करने का विशेष महत्व है। साथ ही इस माह में आप तीर्थ यात्रा पर भी जा सकते हैं। तो, इस माह सच्चे मन से दान करें और सुखद जीवन जीएं।
  • खरमास में पूजा पाठ, यज्ञ आदि अधिक करना चाहिए। इस समय भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। खरमास में आप सत्यनारायण भगवान की कथा सुनते हैं या पढ़ते हैं तो इसका शुभ असर आपके साथ साथ आपके परिवार को भी मिलता है। जिन लोगों की कुंडली में गुरु खराब स्थिति में हैं उन्हें खरमास में पूजा पाठ करना चाहिए।

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