Secrets Related To Shri Krishna’s Flute: श्रीकृष्ण की बांसुरी से जुड़े ये रहस्य जानिए
भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी (Sri Krishna Bansuri) अतिप्रिय है। यही कारण है श्रीकृष्ण की सभी प्रतिमाओं में उनके हाथ में बांसुरी नजर आती है। लेकिन श्रीकृष्ण की बांसुरी कोई साधारण बंशी नहीं बल्कि इसमें कई ऐसे रहस्य छिपे हैं।
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श्रीकृष्ण की बांसुरी: भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी (Sri Krishna Bansuri) अतिप्रिय है। यही कारण है श्रीकृष्ण की सभी प्रतिमाओं में उनके हाथ में बांसुरी नजर आती है। लेकिन श्रीकृष्ण की बांसुरी कोई साधारण बंशी नहीं बल्कि इसमें कई ऐसे रहस्य छिपे हैं।
भगवान श्रीकृष्ण के कई प्रतीकों में एक है बांसुरी, जिसे उनकी हर प्रतिमा में देखा जाता है। बांसुरी प्रेमी होने के कारण उन्हें कई नाम भी मिले हैं। भगवान कृष्ण को बंसी, वेणु, वंशिका, बंशीधर और मुरलीधर जैसे नामों से भी जाना जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण में भी भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी से जुड़ी कई कथाएं हैं। यही कारण है कि भक्तों के बीच श्रीकृष्ण की बांसुरी के बारे में जानने की जिज्ञासा रहती है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की बांसुरी में जीवन का सार छिपा है। लेकिन बांस से बनी श्री कृष्ण की ये बांसुरी कोई साधारण बांसुरी नहीं है, बल्कि इसमें ऐसे रहस्य छिपे हैं।
श्रीकृष्ण की बांसुरी के रहस्य (Sri Krishna Flute Secrets)
कहा जाता है कि पहली बार कृष्ण को बांसुरी धवन नाम के एक बंसी बेचने वाले से मिली थी। जब बंसी बेचने वाले ने कृष्ण को इसे बजाने के लिए कहा तो भगवान की मधुर धुन सुनकर वह मंत्रमुग्ध हो गया। एक कथा में ऐसा भी बताया गया है कि भगवान भोलेनाथ ने ऋषि दधीचि की हड्डी से एक बांसुरी बनाई थी। जब भोलेनाथ बालकृष्ण से मिलने आए थे तो उन्होंने वह बांसुरी उन्हें भेंट स्वरूप दी थी।
राधा के प्रति प्रेम का प्रतीक
आखिरी समय में जब भगवान श्रीकृष्ण ने राधा से कुछ मांगने का अनुरोध किया। इस पर राधा ने कहा कि वह आखिरी बार उन्हें बांसुरी बजाते हुए सुनना चाहती हैं। श्रीकृष्ण ने सुरीली धुन में दिन-रात बांसुरी बजाई। राधा आध्यात्मिक रूप से कृष्ण में विलीन हो गईं। बांसुरी की धुन सुनते-सुनते राधा ने अपना शरीर त्याग दिया। राधा की मृत्यु के बाद कृष्ण ने बांसुरी एक झाड़ी में फेंक दी और इसके बाद कभी बांसुरी नहीं बजाई। इसलिए बांसुरी को श्रीकृष्ण के राधा के प्रति प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
श्री कृष्ण की बांसुरी में छुपे हैं जीवन के ये 3 रहस्य
- बांसुरी में गांठ नहीं है, वह खोखली है- इसका अर्थ है अपने अंदर किसी भी तरह की गांठ मत रखो, चाहे कोई तुम्हारे साथ कुछ भी करें बदले कि भावना मत रखो.
- बिना बजाए बजती नहीं है, यानी जब तक न कहा जाए तब तक मत बोलो। बोल बड़े कीमती है, बुरा बोलने से अच्छा है शांत रहो।
- जब भी बजती है मधुर ही बजती है, मतलब जब भी बोलो तो मीठा ही बोलो। जब ऐसे गुण किसी में भगवान देखते हैं, तो उसे अपना लेते हैं।
बांसुरी का धार्मिक महत्व भी
श्रीकृष्ण को अतिप्रित होने के कारण बांसुरी का धार्मिक महत्व भी है। इसके अनुसार कहा जाता है कि बांसुरी को हाथ से हिलाने पर नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। वहीं इसे बजाने पर घरों में पॉजिटिव एनर्जी आती है और जीवन में नए उत्साह का संचार होता है। वास्तु शास्त्र की मानें तो अशांति और समस्याओं को दूर करने के लिए हमेशा घर में बांसुरी रखनी चाहिए। इसको रखने से घर में कई प्रकार के वास्तु दोष दूर होते हैं। वास्तु के अनुसार माना जाता है कि जिस घर में लकड़ी की बांसुरी होती है, वहां भगवान श्री कृष्ण स्वयं रहते हैं और घर के सदस्यों पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।
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