Vishwakarma: भगवान विश्वकर्मा से जुड़ीं 8 रोचक बातें
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भगवान विश्वकर्मा vishwakarma की पूजन भारत के हर क्षेत्र में होती है खासकर मशीनरी का बहुतायत में उपयोग करने वाले कल कारखानों में आपको भगवान् विश्वकर्मा की फोटो या प्रतिमा लगी हुई दिख जाएगी | भगवान् विश्वकर्मा के वह निर्माण जिनके बारे में आप हमेशा से जानना चाहते हैं उनकी जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी |
कारीगरों की बड़ी तादात के बीच यह माना जाता है कि भगवान् विश्वकर्मा vishwakarma की भक्ति और पूजा-पाठ से हमारे मन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है साथ ही हमें व्यापार में सफलता और आर्थिक प्रगति प्राप्त होती है।
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भगवान विश्वकर्मा vishwakarma की जयंती के अवसर पर newsmerchants आपको भगवान विश्वकर्मा जी से जुड़ी कुछ रोचक बातों की जानकारी दे रहा है साथ ही इस लेख में भगवान् विश्वकर्मा जी की संतानों की जानकारी भी प्राप्त होगी ।
vishwakarma ने बनाया था भगवान शिव का रथ और त्रिशूल
महाभारत के अनुसार तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली के वध के लिए भगवान शिव जिस रथ से गए थे, वो रथ भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था, जिसके दाएं चक्र में सूर्य और बाएं चक्र में चंद्रमा विराजमान थे।
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vishwakarma द्वारा निर्मित पुष्पक विमान
वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण के अनुसार शिल्पाचार्य विश्वकर्मा द्वारा पितामह ब्रह्मा के प्रयोग हेतु पुष्पक विमान का निर्माण किया गया था।
vishwakarma ने किया था सुदर्शन चक्र का निर्माण
पुराणों में भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का निर्माता वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा vishwakarma को माना गया है।
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इंद्र का वज्र –
भागवत के अनुसार वृत्रासुर का वध करने के लिये ऋषि दधीचि की हड्डियों से वज्र का निर्माण भगवान विश्वकर्मा vishwakarma जी ने ही किया था।
vishwakarma ने ही बनाई थी सोने की लंका
वाल्मीकि जी की रामायण के अनुसार, सतयुग में सोने की लंका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा vishwakarma ने किया था। भगवान शिव ने पार्वती से विवाह के बाद, सोने की लंका का निर्माण, विश्वकर्मा जी से करवाया था। शिव जी ने जब रावण को गृह पूजन के लिए बुलाया, तो महापंडित रावण ने दक्षिणा में उनसे सोने की लंका को ही मांग लिया था।
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प्राचीन नगर vishwakarma के हाथों बसे
हमारे धार्मिक इतिहास में कई सारे अद्भुत नगरों की रचना का उल्लेख मिलता है। मान्यताओं के अनुसार यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी जैसे नगरों के निर्माण का श्रेय भी भगवान विश्वकर्मा vishwakarma को जाता है।
vishwakarma ने ही बनाए देवताओं की संपत्ति
शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा के अन्य निर्माणों के बीच यमराज का कालदण्ड, कर्ण के कुण्डल, देवताओं के महल, अस्त्र-शस्त्र और सिंघासन का वर्णन भी किया गया है।
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भगवान विश्वकर्मा vishwakarma की संतानें
भगवान विश्वकर्मा vishwakarma की ऋद्धि सिद्धि और संज्ञा नाम की तीन पुत्रियाँ थी जिनमें से ऋद्धि सिद्धि का विवाह भगवान चंद्रशेखर और माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश से हुआ था तथा संज्ञा का विवाह महर्षि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र सूर्य देवता से हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, बृहस्मति और रामसेतु के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाले नल-नील भी विश्वकर्मा जी के पुत्र हैं। भगवान विश्वकर्मा से जुडी रोचक जानकारियों और धर्मिक लेख पढने के लिए जुड़े रहिए newsmerchants के साथ . . . .
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