धर्म

Sharad Purnima 2022: जानिए शरद पूर्णिमा का महत्व,और पूजन मुहूर्त 

Sharad Purnima 2022

Sharad Purnima 2022 शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र ऐसा दिन होता है, जब चन्द्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है एवं पृथ्वी के सबसे निकट होता है।

Sharad Purnima 2022 शरद पूर्णिमा का पर्व धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टि से यह दिन बेहद लाभदायक माना गया है।

दरअसल हिंदू धर्म में, मानव का प्रत्येक गुण किसी न किसी कला से जुड़ा होता है, और यह माना जाता है कि सोलह विभिन्न कलाओं का संयोजन एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है। इसी कड़ी में शरद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग में सर्वाधिक महत्व रखती है। शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रदेव की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

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यह शरद ऋतु में आती है तथा इसे अश्विन मास (सितंबर-अक्टूबर) की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस उत्सव को कौमुदी अर्थात चन्द्र प्रकाश अथवा कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भारत के कई राज्यों में शरद पूर्णिमा को फसल कटाई के उत्सव के रूप में मनाते हैं, तथा इस दिवस से वर्षाकाल ऋतु की समाप्ति तथा शीतकाल ऋतु की शुरुआत होती है। गुजरात में शरद पूर्णिमा को शरद पूनम के नाम से भी मान्यता प्राप्त है।

Sharad Purnima 2022 का महत्व

Sharad Purnima 2022 हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा के दिन खीर का विशेष धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व बताया गया है. शरद पूर्णिमा  Sharad Purnima 2022 के दिन चन्द्रमा से उत्पन्न होने वाली रश्मियाँ (किरणें) अद्भुत स्वास्थ्प्रद तथा पुष्टिवर्धक गुणों से भरपूर होती है, जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं।

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 साथ ही यह मान्यता भी है कि इस दिन Sharad Purnima 2022 पर चंद्र प्रकाश से अमृत की वर्षा होती है। श्रद्धालु इस दिन खीर बनाते हैं, और इसे चन्द्रमा के सभी सकारात्मक एवं दिव्य गुणों से परिपूर्ण करने के लिए इस खीर को चन्द्र प्रकाश के सीधे संपर्क में रखते हैं। इस खीर को प्रसाद के रूप में अगली सुबह वितरित किया जाता है।

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इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 के चन्द्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं। इसीलिये इस दिव्य संयोग का लाभ उठाने के लिये, पारम्परिक रूप से शरद पूर्णिमा के दिन, गाय के दूध से बनी खीर और नेत्रों की ज्योति में वृद्धि करने वाली एक विशेष मिठाई जिसे ब्रज भाषा में इसे पाग कहते हैं- को बनाया जाता है, और पूरी रात चन्द्रमा की किरणों के नीचे रखा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि चन्द्रमा की किरणों से इस मिठाई में अमृत जैसे औषधीय गुण आ जाते हैं। प्रातःकाल, इस खीर का सेवन किया जाता है, और परिवार के सदस्यों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। तथा नेत्रों की ज्योति के लिये लाभदायक मिठाई का कई दिनों तक औषधि की भाँति सेवन किया जाता है।

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श्रीकृष्ण ने किया था महारास नृत्य

उत्तरप्रदेश के बृज क्षेत्र में शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को भगवान श्री कृष्ण ने दिव्य प्रेम का नृत्य महा-रास (आध्यात्मिक/अलौकिक प्रेम का नृत्य) किया था।

प्राचीन कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि में, श्री कृष्ण की बाँसुरी का दिव्य संगीत सुनकर, वृन्दावन की गोपियाँ श्री कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिये वन में चली गयीं। यह वह रात्रि थी जब योगीराज श्री कृष्ण ने प्रत्येक गोपी के साथ पृथक कृष्ण बनकर पृथक-पृथक नृत्य किया।

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अलौकिक रूप से इस रात्रि के समय को भगवान ब्रह्मा की एक रात्रि के बराबर कर दिया और ब्रह्मा की एक रात्रि मनुष्य के अरबों वर्षों के बराबर मानी जाती है। बृज तथा वृन्दावन में रास पूर्णिमा को वृहद स्तर पर मनाया जाता है।

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शरद पूर्णिमा व्रत Sharad Purnima 2022 का महत्व

नवविवाहित सौभाग्यवती स्त्रियाँ, जो वर्ष की प्रत्येक पूर्णिमासी को उपवास करने का संकल्प लेती हैं, वे शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 के दिन से उपवास प्रारम्भ करती हैं। यह दिवस धन की देवी, माता लक्ष्मी से भी सम्बंधित है।

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 को व्रत रख कर पूर्ण रात्रि माता लक्ष्मी का पूजन करने से व्यक्ति की कुण्डली में लक्ष्मी योग नहीं होने के उपरांत भी अथाह धन तथा वैभव की प्राप्ति होती है।

Sharad Purnima 2022 स्नान एवं दान का विशेष महत्व

शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 के अवसर पर ब्रजघाट गंगानगरी में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य का लाभ अर्जित करती है। श्रद्धालु इस पूर्णिमा पर निष्ठा के साथ गंगा मैया में डुबकी लगाकर पापों से मुक्त होकर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं। इस पावन अवसर पर गरीब-निराश्रितों को भोजन-वस्त्र का दान करने का भी विशेष महत्व है।

इस प्रकार आपने शरद पूर्णिमा पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के साथ ही इस पर्व का महत्व और मुहूर्त भी जाना, अब जानते हैं इस वर्ष यानि 2022 में शरद पूर्णिमा का मुहूर्त

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि के समापन के बाद आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 के नाम से जाना जाता है। शरद पूर्णिमा पूरे वर्ष में आने वाली बारह महत्वपूर्ण पूर्णिमाओं में से एक है।

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि Sharad Purnima 2022 की बहुत महत्ता है। स्नान-दान और व्रत के लिए विशेष पुण्यदायी मानी जाने वाली पूर्णिमाओं में से एक आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है।

Sharad Purnima 2022 में शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर, रविवार को बहुत उल्लास के साथ मनाई जाएगी।

शरद पूर्णिमा प्रारम्भ – 09 अक्टूबर, रविवार 03:41 AM से
शरद पूर्णिमा समाप्ति – 10 अक्टूबर, सोमवार 2:24 AM तक
चंद्रोदय – 09 अक्टूबर, रविवार 5:51 PM पर

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Sharad Purnima 2022: पूर्णिमा को जाना जाता है कई नामों से

शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 के धार्मिक महात्म्य, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व के कारण इसे सभी तिथियों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। भारत में पूरे साल के ऋतुचक्र में शरद पूर्णिमा को शरद ऋतु के आगमन का संदेश माना जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, जागृत पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जानते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022  के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं की संपूर्णता लिए आकाश में प्रकाशमान होता है। प्राचीन मान्यताएं कहती हैं कि इस दिन चन्द्रमा की उज्जवल किरणों से पृथ्वी पर अमृत की वर्षा होती है।

इसलिए हमारी संस्कृति में कई वर्षों से यह परम्परा रही है, कि इस दिन शाम के समय हर घर में दूध से बनी खीर पकाई जाएगी। इसे रात में चन्द्रमा की रौशनी के नीचे रखा जाएगा और सुबह अमृत औषधि के प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण किया जाएगा।

चूँकि शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 पर चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, इसीलिए इस दिन चन्द्रमा के प्रकाश में रखी गई खीर को मानव शरीर के लिए बहुत स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

शरद पूर्णिमा पर की जाने वाली पूजा – कई पूर्वी क्षेत्रों में शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन-धान्य और वैभव का निवास होता है।

इस दिन कई युवतियां और नवविवाहित महिलाएं चन्द्रमा की पूजा भी करती हैं। अच्छे वर, सौंदर्य और स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाने वाला शरद पूर्णिमा का व्रत और पूजन हर प्रकार से बहुत पुण्यफल देने वाला होता है। हमारे देश में लोग इसे एक सार्वजानिक पर्व के रूप में भी मनाते हैं।

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