सावन में आने वाली अमावस्या: हरियाली अमावस्या, जाने शुभ मुहूर्त और महत्व
सावन में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। सोमवार होने के कारण सोमवती अमावस्या भी है। सावन के दूसरे सोमवार पर 4 शुभ संयोग
सोमवती अमावस्या या हरियाली अमावस्या: हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है। साथ ही इस पवित्र मास में पड़ने वाले व्रत त्योहारों को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि इस वर्ष श्रावण मास की अमावस्या तिथि पर सोमवार का दिन पड़ रहा है, जिस वजह से इस दिन सोमवती अमावस्या व्रत रखा जाएगा। बता दें कि सोमवती अमावस्या या श्रावन अमावस्या के दिन तीन अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। माना जाता है इन शुभ योग में पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सावन माह में बारिश अधिक होती है और इस वजह से धरती पर चारों ओर हरियाली छाई रहती है। चारों तरफ हरे पेड़-पौधे नजर आते हैं। इस समय प्रकृति अत्यधिक सुंदर दिखाई पड़ती है, इस वजह से श्रावण अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं।
सोमवती अमावस्या या हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त
सावन माह की अमावस्या तिथि 16 जुलाई 2023 को रात 10 बजकर 8 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 18 जुलाई को सुबह 12 बजकर 1 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार इस साल सोमवती अमावस्या 17 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी।
सावन के दूसरे सोमवार पर 4 शुभ संयोग
17 जुलाई सोमवार पर 4 शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन सोमवती अमावस्या है और सावन की हरियाली अमावस्या भी है। इसके अलावा रुद्राभिषेक के लिए शिववास भी है। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र है।
- सोमवती अमावस्या: सावन के दूसरे सोमवार को श्रावण अमावस्या है, लेकिन दिन सोमवार होने के कारण यह सोमवती अमावस्या है। सोमवती अमावस्या को स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- हरियाली अमावस्या: दूसरे सावन सोमवार के दिन हरियाली अमावस्या का भी सुंदर संयोग बना है। हर साल श्रावण अमावस्या को हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन प्रकृति की पूजा होती है। हरियाली अमावस्या के अवसर पर दैव पेड़-पौधे जैसे पीपल, आंवला, नीम, बरगद, शमी आदि लगाए जाते हैं। इनकी सेवा करने से देव और पितर दोनों ही प्रसन्न होते हैं।
- रुद्राभिषेक के लिए शिववास: सावन के दूसरे सोमवार पर रुद्राभिषेक के लिए शिववास भी है। बिना शिववास के रुद्राभिषेक नहीं किया जाता है। 17 जुलाई को शिववास माता गौरी के साथ है। इस दिन सूर्योदय से लेकर रात्रि तक शिववास है। आप सुविधानुसार किसी भी शुभ समय में रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
- पुनर्वसु नक्षत्र: दूसरा सावन सोमवार पुनर्वसु नक्षत्र में है। इसे शुभ नक्षत्र माना जाता है। देव माता अदिति पुनर्वसु नक्षत्र की इष्टदेव हैं और यह राशि चक्र का सातवां नक्षत्र है।
सावन में आने वाली अमावस्या का महत्व
सावन में आने वाली अमावस्या यानि हरियाली अमावस्या
हरियाली अमावस्या पर पौधे लगाने की परंपरा है, ऐसा माना जाता है कि इस दिन पेड़ लगाकर उन पौधों की देखभाल करने का संकल्प लेने से पितृदोष समाप्त होता है। इस दिन आंवला, पीपल, नीम, तुलसी, बरगद का पेड़ लगाने से पुण्य फल मिलता है।
सोमवार होने के कारण सोमवती अमावस्या महिलाओं के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण
सोमवती अमावस्या इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव का पूजन करती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन शिवलिंग पर दूध व गंगाजल से अभिषेक किया जाता है और पितरों की पूजन भी किया जाता है। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान का भी विशेष महत्व माना गया है। लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान अवश्य करना चाहिए।
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