इंदौर

इंदौर NEWS: इसी मानसून सत्र में लागू की जाए समान नागरिक संहिता

इंदौर के वकीलों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम दिया ज्ञापन।

सामाजिक और कानून के क्षेत्र में काम करने वाली वकीलों की संस्था न्यायाश्रय ने इंदौर कमिश्नर कार्यालय में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। संस्था ने इसी मानसून सत्र से समान नागरिक संहिता लागू किए जाने की मांग की है। संस्था अध्यक्ष एडवोकेट पंकज वाधवानी ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई प्रकरणों में भारतीय संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 44 में राज्य के नीति निर्देशक के तहत समान नागरिक संहिता लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया है। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस संबंध में टिप्पणी की है कि संविधान के अनुच्छेद 44 को लागू करने का सही समय यही है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत है। धर्म और जाति के अंतर समाप्त हो रहे हैं ऐसे में समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए।

क्या है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता का मतलब है देश में रहने वाले सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा। इसके तहत देश में रहने वाले सभी धर्मों और समुदायों के लोगों लिए एक ही कानून लागू होगा। इसमें संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बनाया जाना है।

अभी भारत में हर धर्म का अपना अलग कानून है और वो उसी हिसाब से चलता है। हिंदुओं के लिए अपना अलग कानून है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों से जुड़ी बातें हैं। मुस्लिमों का अलग पर्सनल लॉ है और ईसाइयों का अपना पर्सनल लॉ है।

दमनकारी नहीं बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष प्रविधान

वाधवानी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के बारे में कई भ्रांतियां फैलाई गई हैं। इससे लोगों के मन में यह भय उत्पन्न हो गया है कि यह कोई दमनकारी प्रविधान है जबकि ऐसा नहीं है। यह कल्याणकारी प्रविधान होकर पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष भी है। समान नागरिक संहिता देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान का धर्मनिरपेक्ष विचार है। इसके लागू होने पर प्रत्येक समुदाय का विकास होगा। कई कट्टरपंथी इसे सांप्रदायिक बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन विदेश जैसे अमेरिका, चीन, इंडोनेशिया आदि में भी कट्टरपंथी हैं लेकिन वे वहां समान नागरिक संहिता का पालन करते हैं।

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यह है समान नागरिक संहिता

संविधान के भाग 4 में राज्य के नीति निर्देशक तत्व दिए गए हैं। इस भाग में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार को किस दिशा में कार्य करना है इस बारे में निर्देश जारी किए गए हैं। इनमें से कई अनुच्छेद लागू हो चुके हैं किंतु अनुच्छेद 44 जिसमें राज्यों को यह निर्देश दिया गया है कि सरकार समान नागरिक संहिता लागू करें, वह आज तक लागू नहीं हुआ है। इसके चलते देश में सभी धर्मों के अलग-अलग पर्सनल ला चल रहे हैं। एक ही देश में फैमिली ला के तहत अलग-अलग रीति रिवाज चल रहे हैं। उसके चलते अलग-अलग धर्म में आस्था रखने वालों में मनमुटाव की आशंका बनी रहती है।


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