अमृत हैं ऋतुफल आंवला, जानिए आंवले के सेवन से कैसे बदलेगी काया
जानिए क्यों घर के डॉक्टर कहलाता हैं, साथ ही जानिए आंवले के औषधीय गुण
आंवला एक अत्यंत गुणकारी फल है। आंवले का प्रयोग वैसे तो हर मौसम में किया जा सकता है, पर ताजे आंवले का सेवन ज़्यादा लाभदायक है। आंवले को सुखाकर आंवले की सुपारी, या इसका मुरब्बा या अचार आदि बना कर इसका कई तरह से प्रयोग किया जाता है। आंवले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसी भी ऋतु में कैसे भी अर्थात् सूखा आंवला सुपारी, अचार, मुरब्बा, चटनी आदि तरीकों से इसे खाने पर भी बड़ा लाभदायक है।
आंवला विटामिन ‘C’ का भण्डार हैं. जितना विटामिन ‘C’आंवले में होता है, उतना अन्य किसी भी अन्य फल में नहीं होता। इसमें मौजूद विटामिन ‘C’ किसी भी रूप में खाने पर नष्ट नहीं होता। साधारणतया विटामिन ‘C’ ऐसा नाज़ुक तत्व होता है जो अधिक गर्मी से नष्ट हो जाता है, लेकिन आंवले में प्राकृतिक रूप से ऐसा तत्व है जो आंवले के विटामिन ‘C’ को नष्ट नहीं होने देता हैं। यह सदाबहार फल सभी ऋतुओं में सूखा आंवला सुपारी, चटनी, मुरब्बा, अचार, चूर्ण के रूप में गुणकारी रहता हैं।
आंवला किसी भी रूप में लेना फायदेमंद है, यह विटामिन ‘C’ का सर्वोत्तम भण्डार है। यह नेत्र, त्वचा, केश और फेफड़ों के लिए अत्यधिक हितकारी है, महिलाओं के लिए भी सौन्दर्यवर्धक तत्व है, भूख बढ़ानेवाला, श्लेष्मा शोध न करने वाला, रक्त शोधक, धातुवर्धक और वृद्धावस्था दूर रखकर युवा बनाए रखने वाला फल है। इसके सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। तथा शांति और ओज की भी वृद्धि होती है, यह मस्तिष्क व हृदय को शक्ति प्रदान करता है।
आंवला पेशाब उतारने, ख़ून साफ़ करने, स्वाद बढ़ाने, शरीर के भीतरी और बाहरी जलन का नाशक, प्रमेह ठीक करने, दस्त, पीलिया रोग, नाक, मुंह, कब्ज़, अपच, बवासीर, खांसी, श्वास रोग, अरुचि और आंख की रोशनी की कमी आदि दूर करता है। यह चर्बी घटाकर मोटापा दूर करता है, कच्चा हरा आंवला भोजन के पहले या भोजन के साथ खाने से है भूख बढ़ती है तथा पाचन क्रिया अच्छी रहती है।
युवा महिला तथा पुरुष निरंतर सेवन कर अधिक समय तक युवा रह सकते हैं। वृद्ध इसका सेवन कर वृद्धावस्था के प्रभाव को कम करके अधिक स्वस्थ व चुस्त रह सकते हैं। महिलाएं लम्बे, घने, चिकने व चमकीले बालों के लिए हर तरह के उपाय करती हैं, इसके लिए एक आंवला किसी न किसी रूप में अवश्य आजमाएं।
रात में आंवले के चूर्ण को पानी में भिगो दें और प्रातः इस पानी से सिर धोएं, यह बालों में लगाने से बाल सफ़ेद नहीं होते हैं। आंवले के चूर्ण को पानी में भिगोकर उबटन की तरह सारे शरीर में लगातार स्नान करने से त्वचा रोगरहित व कांतिपूर्ण होती है। अलग-अलग रोगों के लिए अलग-अलग विधि से इसे सेवन करने की आवश्यकता होती है। यदि आप नियमपूर्वक किसी विधि से एक या दो आंवले प्रतिदिन खाएं तो कई रोगों के शिकार होने से बच सकते हैं।