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Mother Teresa: आज मदर टेरेसा की 113वीं जयंती है। आइए उनके जीवन से जुड़े कुछ उपयोगी सामान्य ज्ञान तथ्यों के बारे में जानें।

नोबेल शांति पुरस्कार और रेमन मैग्सेसे शांति पुरस्कार विजेता, शांति दूत और सामाजिक कार्यकर्ता मदर टेरेसा की 113वीं जयंती मनाई जा रही है। 'कलकत्ता की संत टेरेसा' के नाम से भी जानी जाने वाली मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को अल्बानिया में हुआ था।

Mother Teresa मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कोप्जे, मैसेडोनिया में हुआ था, जो अब अल्बानिया का हिस्सा है। उन्हें 1962 में रेमन मैग्सेसे शांति पुरस्कार, 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

नोबेल शांति पुरस्कार और रेमन मैग्सेसे शांति पुरस्कार विजेता, शांति दूत और सामाजिक कार्यकर्ता मदर टेरेसा की 113वीं जयंती मनाई जा रही है। ‘कलकत्ता की संत टेरेसा’ के नाम से भी जानी जाने वाली मदर टेरेसा (Mother Teresa) का जन्म 26 अगस्त, 1910 को अल्बानिया में हुआ था। वह एक अल्बानियाई-भारतीय रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 1950 में कोलकाता में एक कैथोलिक धार्मिक मंडली मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी। मदर टेरेसा एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने काम के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, बीमारों और अनाथों की सेवा में समर्पित कर दिया। 5 सितंबर 1997 को उनका निधन हो गया, जिसे अंतर्राष्ट्रीय चैरिटी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आइए मदर टेरेसा के जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़े कुछ परीक्षा-संबंधित सामान्य ज्ञान जानें।

मदर टेरेसा के बारे में उपयोगी सामान्य ज्ञान 

  • मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कोप्जे, अल्बानिया (अब मैसेडोनिया) में हुआ था।
  • 5 सितंबर 1997 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में उनका निधन हो गया।
  • उनके सम्मान में 5 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय चैरिटी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • मदर टेरेसा ‘कलकत्ता की संत टेरेसा’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
  • उन्होंने वर्ष 1950 में कोलकाता में ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की।
  • मदर टेरेसा को 1962 में रेमन मैग्सेसे शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला।
  • 1980 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • मदर टेरेसा को 4 सितंबर 2016 को संत की उपाधि दी गई थी।
  • कलकत्ता की संत टेरेसा संत की उपाधि पाने वाली भारत की पहली महिला थीं।
  • मदर टेरेसा अल्बानियाई, सर्बियाई, अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली भाषा बोलती थीं। उनका मानना था कि केवल अलग-अलग भाषाएं सीखकर ही वह दूसरों के दर्द और पीड़ा को समझ सकती हैं और उनसे संवाद कर सकती हैं।

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