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MP Election 2023: कैलाश के शपथ-पत्र पर उठे सवाल , कांग्रेस द्वारा लगाई गई आपत्ति को चुनाव आयोग ने किया खारिज।

कांग्रेस खटखटा सकती है - हाई कोर्ट का दरवाजा

विजयवर्गीय ने कहा – मेरे ऊपर चल रहे कई केस , इसमें छुपाना क्या

MP Election 2023: इंदौर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर-1 से बीजेपी प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय मुश्किल में फंस गए हैं. नामांकन पत्र दाखिल करते समय उन्होंने जो हलफनामा दिया है उसमें दो घटनाओं का जिक्र नहीं है. इस पर कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने रिटर्निंग ऑफिसर से शिकायत की, जिसे खारिज कर दिया गया। शुक्ला अब हाईकोर्ट जा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रभारी रहे कैलाश पर एक महिला ने बलात्कार, छल, अमानत में खयानत सहित अन्य गंभीर धाराओं को लेकर जिला कोर्ट में मुकदमा दर्ज करने का आवेदन किया था। कोर्ट के निर्देश पर अलीपुर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया, जिसकी विजयवर्गीय ने अपील हाई कोर्ट में की, जिसे खारिज कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां से निचली अदालत को फिर से आदेश पर विचार करने के निर्देश दिए गए। केस अब तक लंबित है, खत्म नहीं हुआ है।

30 अक्टूबर को भाजपा प्रत्याशी कैलाश ने नामांकन दाखिल कर शपथ पत्र किया पेश ।

शपथ पत्र में पांच प्रकरणों का उल्लेख किया गया, लेकिन इस गंभीर मामले की जानकारी नहीं दी गई। इसके अलावा छत्तीसगढ़ की दुर्ग पुलिस ने भी विजयवर्गीय को स्थायी फरार घोषित कर स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा है। विजयवर्गीय ने इसकी जानकारी भी नहीं दी। इस पर कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के प्रस्तावक दीपू यादव के हस्ताक्षर से विधि सलाहकार सौरभ मिश्रा ने भारत निर्वाचन आयोग, राज्य निर्वाचन पदाधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी और विधानसभा-204 के रिटर्निंग अधिकारी ओम नारायण सिंह को मामले की मय दस्तावेज शिकायत दर्ज कराई।इस दौरान सिंह ने आपत्ति को खारिज कर दिया।

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इस प्रकार था मामला

मजिस्ट्रेट कोर्ट में दायर शिकायत में विजयवर्गीय, प्रदीप जोशी और जिष्णु वासु याचिकाकर्ता पर बेहाला महिला थाने में दर्ज एफआईआर वापस लेने का दबाव बना रहे थे. नवंबर 2018 में इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए उसे विजयवर्गीय के अपार्टमेंट में बुलाया गया, जहां विजयवर्गीय, जोशी और वासु ने शिकायतकर्ता के साथ बलात्कार किया। इसकी शिकायत पुलिस अधिकारियों से की गई, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया था झटका

सामूहिक बलात्कार और धमकी देने के मामले में कैलाश विजयवर्गीय को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया था। न्यायाधीश एमआर शाह व संजीव खन्ना की खण्डपीठ ने विजयवर्गीय की अपीलों को निस्तारित करते हुए आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट मामले का परीक्षण कर विवेकाधिकार का प्रयोग करे और तय करे कि एफआइआर दर्ज करने का आदेश देना है या नहीं या फिर सीधे प्रसंज्ञान लेकर अपने स्तर पर जांच की जाए। मजिस्ट्रेट कोर्ट को यह भी विकल्प दिया कि कोई भी निर्णय लेने से पहले अब तक सामने आए दस्तावेजों के आधार पर प्रारभिक जांच (पी.ई.) के लिए मामला पुलिस के पास भी भेजा जा सकता है, ताकि पता चल सके कि परिवाद के आधार पर अपराध बनता है या नहीं। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के एफआइआर दर्ज करने के आदेश को रद्द कर दिया, वहीं कलकात्ता हाईकोर्ट की ओर से मजिस्ट्रेट कोर्ट को दिए नए सिरे से कार्यवाही करने के आदेश को यथावत रखा है।

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कैलाश की ‘कलाकृति’ की शपथ

नामांकन में दाखिल हलफनामे में कैलास ने पश्चिम बंगाल में पांच मामलों की जानकारी दी. शेष वस्तुओं पर चित्र बनाते समय एक नोट लिखा गया। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव रहते हुए वह विभिन्न राज्यों में चुनावी दौरे करते रहते हैं. संबंधित विभाग ने मुझे इस बात की जानकारी नहीं दी कि राजनीतिक द्वेष के कारण कोई जांच चल रही है. इसके लंबित रहने की संभावना है.

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ऐसे मामलों में क्या है प्रावधान

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 ए में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति शपथ पत्र में गलत जानकारी देता है या कोई जानकारी छुपाता है और अदालत में अपराध साबित हो जाता है, तो उसे 6 महीने की कैद की सजा हो सकती है। ठीक है या दोनों है यह व्यवस्था उत्तम है. आयोग को इस धारा के तहत नामांकन अस्वीकार करने की कोई शक्ति नहीं है। यह एक बड़ी खामी है. बॉम्बे और केरल हाई कोर्ट ने भी कई बार संसद से कानून बनाने के लिए कहा है, लेकिन विरोधाभासों के कारण आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

प्रत्याशी संजय शुक्ला ने विजयवर्गीय का नामांकन रद्द करने की मांग

वकील मिश्रा ने दलील दी है कि विजयवर्गीय ने ही रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.ऐसे में वे इस मामले को नजरअंदाज नहीं करेंगे.उन्होंने इसे छिपाकर चुनाव आयोग के निर्देशों की अनदेखी की है. इसलिए उम्मीदवारी रद्द की जानी चाहिए.

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