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आचार संहिता का किया उल्लंघन तो होगी सजा
आचार संहिता में नियम हुए सख़्त
MP Election 2023: मध्यप्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में चुनावी आचार संहिता लागू हो गई है। यह आचार संहिता पार्टी उम्मीदवारों से लेकर राजनीतिक दलों, सत्ताधारी संगठनों और सरकारों पर भी लागू होती है।
MP Election 2023आचार संहिता के भीतर क्या काम हो सकते हैं और क्या नहीं हो सकते हैं, यह हमेशा सवाल बना रहता है। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आचार संहिता के दौरान आप ज्यादा नगदी लेकर भी यात्रा नहीं कर सकते हैं। प्रति व्यक्ति पचास हज़ार रुपए की सीमा होती है और इसके अतिरिक्त किसी भी नगदी को साथ रखने के लिए वैध दस्तावेजों की जरूरत होती है। चुनाव आचार संहिता के दौरान प्रत्याशी से बगैर पूछे खुद के मकान पर उसका झंडा या बैनर लगाना आमजन को भारी पड़ सकता है। ऐसा करने पर पुलिस झंडा लगाने वाले के साथ-साथ प्रत्याशी पर भी एफआइआर दर्ज कर सकती है। अब पुलिस को ऐसा करने वालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का अधिकार है।
पुलिस हुई सख़्त –
MP Election 2023:हालांकि अब तक पुलिस भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की इन धाराओं को लेकर कभी गंभीर नहीं रही, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। चुनाव आयोग की सख्ती के बाद पुलिस ने भी मैदान पकड़ लिया है। अब तक पुलिस चुनाव के दौरान कोलाहल अधिनियम और संपत्ति विरूपण की धाराओं में ही प्रकरण दर्ज करती थी, लेकिन कानून की ऐसी कई धाराएं हैं जो सालो पहले बनी तो सही, लेकिन कभी संज्ञान में नहीं आई। पुलिस विशेष तौर पर ऐसी धाराओं का प्रशिक्षण दे रही है।
आइए, जानते है किन मामलों में हो सकती है कार्रवाई
MP Election 2023:नियमानुसार रोड़ शो के दौरान चार पहिया वाहन पर सिर्फ एक झंडा लगाया जा सकता है। झंडे का आकार तीन बाय दो फीट से बड़ा नहीं होना चाहिए। झंडे का आकार तय मापदंड से अधिक होने पर पुलिस धारा 188 के तहत प्रकरण दर्ज कर सकती है। इसी तरह दोपहिया वाहन पर सिर्फ एक झंडा लगाने की अनुमति है। इसका आकार भी दो बाय एक से अधिक नहीं हो सकता। इससे अधिक आकार होने पर प्रकरण दर्ज हो सकता है। प्रत्याशी की सहमति के बगैर अपने मकान पर झंडा लगाने पर पुलिस धारा 171(एच) के तहत एफआइआर दर्ज कर सकती है। प्रत्याशी ने बगैर मकान मालिक की अनुमति के झंडा लगाया तो वह भी एफआइआर के दायरे में आ सकते है।
“भाई तूझे भगवान भी माफ नहीं करेगा” ‘मुझे ही वोट देना।’ प्रत्याशी या समर्थकों को मतदाताओं को ऐसा बोलना भी भारी पड़ सकता है। कानूनन ऐसे मामले में धारा 171(सी) के तहत एफआइआर दर्ज हो सकती है। इसके तहत एक वर्ष की सजा का प्रावधान है। पार्टी कार्यालय में तीन ही झंडे लगाने की पात्रता है।
रिश्वत देना, सत्कार,खाद्य, तेल, मनोरंजन, पेय पदार्थ, रसद (राशन) देना भी अपराध है। इन संज्ञेय अपराध में पुलिस तत्काल एफआइआर दर्ज कर सकती है।
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आचार संहिता से जुड़ी ओर दूसरी महत्वपूर्ण बातों को जान लीजिए –
1 . किस आधार पर होगा सार्वजनिक और सरकारी स्थानों का उपयोग –
सार्वजनिक स्थानों पर किसी का कोई एकाधिकार नहीं है, लेकिन जिला निर्वाचन प्राधिकारी की अनुमति से ही किसी सार्वजनिक स्थान पर सभा या फिर चुनावी बैठक या फिर चुनाव प्रचार का आयोजन किया जा सकता है। इसका खर्च भी प्रत्याशी के खर्च में जोड़ा जाएगा। रेस्ट हाउस और सरकारी बंगलों का प्रयोग किसी भी राजनीतिक गतिविधि के लिए नहीं किया जा सकेगा।
2 . सरकारी योजनाओं पर अब क्या असर पड़ेगा?
जो योजना पूर्व से मंजूर और प्रचलित हैं, ऐसी योजनाएं यथावत चलती रहेंगी। इनको रोका नहीं जा सकता। लेकिन नई योजना का क्रियान्वयन और कार्यआदेश जारी नहीं होंगे।
3 . ट्रांसफर-पोस्टिंग पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगी ?
ऐसे लोग जो चुनावी प्रक्रिया से जुड़े होते हैं उनके ट्रांसफर-पोस्टिंग पर प्रतिबंध होता है। अगर कुछ बहुत जरूरी है तो उसकी मंजूरी आयोग से लेनी पड़ती है।
4 . मतदान केंद्रों में मंत्री प्रवेश कर सकते हैं?
केंद्र या राज्य सरकार के मंत्री उम्मीदवार या मतदाता या अधिकृत एजेंट के रूप में अपनी क्षमता के अलावा किसी भी मतदान केंद्र या मतगणना स्थल में प्रवेश नहीं करेंगे। मतदान केंद्र में मतदाताओं के अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति बिना वैध पास के प्रवेश नहीं कर सकेगा
5. चुनाव प्रचार के दौरान
कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है। असत्यापित आरोपों या विरूपण के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए।
6. बुनियादी कार्य जैसे सड़क निर्माण, आवास निर्माण और आवंटन तो नहीं रुकेंगे?
जो काम चल रहा है वो यथावत चलता रहेगा। अगर किसी रोड का निर्माण आधा हो चुका है तो उसे पूरा किया जाएगा। अगर काम शुरू ही नहीं हुआ है तो उसे शुरू नहीं किया जाएगा। न ही नए टेंडर या ऑर्डर जारी किए जाएंगे।
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