धर्म

जानिए कालसर्प दोष क्या हैं और आसान उपायों से कालसर्प की शांति

जानिए आपकी कुंडली में कालसर्प दोष हैं या नहीं, कालसर्प दोष के प्रकार एवं प्रभाव

कालसर्प दोष ज्योतिषीय ग्रंथों के अनुसार राहु केतु जनित दोष माना जाता है, यह दोष जन्मकुंडली में राहु और केतु  ग्रहों के प्रभाव को दर्शाता है। इसे कालसर्प योग या कालसर्प दोष के रूप में भी जाना जाता है।

कालसर्प दोष का मान्यता है कि जब राहु और केतु ग्रहों का प्रभाव किसी के जन्मकुंडली में केंद्रीय भावों में होता है, सरल भाषा में कहे तो राहु और केतु के मध्य सारे गृह आजाते हैं तो काल सर्प दोष का निर्माण होता हैं। कालसर्प दोष की वजह से जातक को जीवन में अनेक प्रकार की बाधाओं, कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके कुछ सामान्य प्रतीक निम्नलिखित होते हैं:

  1. आर्थिक समस्याएँ
  2. स्वास्थ्य समस्याएँ
  3. परिवारिक समस्याएँ
  4. कर्मिक चुनौतियाँ

कुंडली में कालसर्प दोष कैसे देखे?

कालसर्प दोष को ज्योतिष शास्त्र में देखने के लिए जन्मकुंडली का अध्ययन किया जाता है। यह जन्मकुंडली  में ग्रहों की स्थिति, प्रभाव और परस्पर मैत्री या शत्रुता आदि गतिविधियों का विस्तार से वर्णन किया जाता है।

  1. जन्मकुंडली बनवाएं: पहले, आपकी जन्मतिथि, जन्मस्थान, और जन्मसमय के साथ एक ज्योतिषाचार्य से अपनी जन्मकुंडली बनवाएं। आपकी जन्मकुंडली में राहु और केतु की स्थिति को विशेष ध्यान से देखना होगा।
  2. राहु और केतु के स्थिति: कालसर्प दोष का मुख्य अंश यह है कि राहु और केतु केंद्रीय भावों में होने चाहिए। अधिकतर ज्योतिषाचार्य इसे पहचानने के लिए आपकी जन्मकुंडली के पहले और आखिरी घरों में राहु और केतु की स्थिति की जांच करते हैं।
  3. कालसर्प दोष के प्रकार: कालसर्प दोष के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि अनंत कालसर्प दोष, कुलिक कालसर्प दोष, वासुकि कालसर्प दोष, आदि। इन प्रकारों को जांचने के लिए आपकी जन्मकुंडली में राहु और केतु की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
  4. ज्योतिषाचार्य से परामर्श: सबसे अच्छा तरीका कालसर्प दोष की जाँच करवाने का है कि आप एक विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें। वे आपकी जन्मकुंडली को देखकर कालसर्प दोष की जाँच करेंगे और उपयुक्त उपायों का सुझाव देंगे।

कैसे करे कालसर्प दोष की शांति

कालसर्प दोष के घरेलू उपाय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य की सलाह और मार्गदर्शन के साथ किए जाने चाहिए, लेकिन यहां कुछ उपाय दिए जा रहे हैं, जो कालसर्प दोष को निवारण करने में मदद कर सकते हैं:

  1. राहु-केतु के मंत्र: आप राहु और केतु के मंत्र का जाप कर सकते हैं, जैसे कि “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः”। इन मंत्रों को नियमित रूप से पढ़ने से कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  2. ज्योतिर्लिंग के दर्शन: ज्योतिर्लिंग के दर्शन से भी यह दोष क्षीण हो सकता है। इसमें आपको विशेष तीर्थस्थलों पर जाने की प्रक्रिया का पालन करना होता है, जैसे कि उज्जैन स्थित महाकालेश्वर, एवं वर्ष में एक बार दर्शन हेतु खुलने वाले श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर।
  3. कालसर्प दोष निवारण के अनुष्ठान: कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए एक विशेष कालसर्प दोष शांति अनुष्ठान होता हैं इसमें मुख्य देव श्री रूद्र पूजन, राहु-केतु एवं 9 नागो की पूजा होती हैं  साथ ही हवं होता  हैं इसके  बाद में  चंडी के नागो की विसर्जन होता हैं । इसके लिए आपको उज्जैन के विद्वान पंडित से संपर्क कर उनसे पूजा करवाना चाहिए।
  4. दान: कालसर्प दोष को कम करने के लिए दान करें। आप गरीबों को भोजन, वस्त्र, और अन्य सहायता प्रदान कर सकते हैं।
  5. व्रत और उपवास: धार्मिक व्रत और उपवास रखने से भी कालसर्प दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है। आपके ज्योतिषाचार्य या आध्यात्मिक गुरु से इनका सुझाव लें।

ध्यान दें कि ये उपाय धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। कालसर्प दोष की जाँच और उपाय के लिए सबसे अच्छा होगा कि आप एक विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य से परामर्श लें, जो आपकी जन्मकुंडली को ठीक से पढ़ सकते हैं और उपयुक्त समाधान सुझा सकते हैं।

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कालसर्प दोष का उपाय ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न रूपों में बताए जाते हैं, जैसे कि व्रत, मंत्र, यज्ञ, यात्रा, और दान आदि। यह उपाय किसी के जीवन को सुखमय और समृद्धि से बना सकते हैं।

नोट: कालसर्प दोष का मान्यता धार्मिक और ज्योतिषीय परंपराओं का हिस्सा है, इसका वैज्ञानिक सबूत नहीं होता है और यह व्यक्ति के धार्मिक और आध्यात्मिक विश्वासों पर निर्भर करता है। यहाँ पर दी गई सलाह धार्मिक दृष्टिकोण से दी गई है, और आपके विश्वासों और परंपराओं के साथ मेल खाने चाहिए।

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