उज्जैन में हर साल सावन और भादो के महीने में बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाती है, लेकिन इस बार इनकी संख्या 10 होने वाली है जो एक विशेष संयोग के चलते हो रहा है। आमतौर पर भगवान महाकाल की 6-7 सवारियां निकलती हैं, लेकिन इस बार सावन माह अधिक होने के कारण संख्या काफी बढ़ गई है।
साल 2023 में सावन और भादो का महीना खास
इस बार अभी से सवारी को लेकर तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है और सवारी मार्ग के चौड़ीकरण के साथ ही रंगाई पुताई और सौंदर्यीकरण का प्लान तैयार कर लिया गया है। इन सब तैयारियों के बीच भक्तों के लिए इस बार सावन और भादो का महीना खास होने वाला है। हर बार जहां बाबा की पांच से 5 से 7 सवारियां निकलती हैं, तो इस बार यह संख्या 10 होने वाली है।सवारियों की संख्या 10 होने के चलते रजत पालकी में बैठकर राजाधिराज अपने भक्तों का हाल जानने के लिए कुल 10 बार नगर भ्रमण पर निकलेंगे और भक्त उनका भावविभोर होकर स्वागत करते नजर आएंगे।
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अधिक संख्या में सवारी क्यों?
पंचांग के अनुसार इस बार सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होगा, जो 30 अगस्त तक रहेगा। इस बीच अधिक मास भी रहेगा। दो सावन महीने होने के कारण सावन सोमवार की संख्या 4 से बढ़कर 8 हो गई है। इसके बाद भादौ के पहले 2 सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाएगी। इस प्रकार इस बार भगवान महाकाल की कुल 10 सवारियां निकलेंगी।
उज्जैन के राजा हैं बाबा महाकाल
उज्जैन धार्मिक नगरी होने के साथ सम्राट विक्रमादित्य के साम्राज्य की राजधानी के रूप में भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। प्राचीनकाल में से अवंतिका के नाम से पहचाना जाता था और कहीं ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह कहा जाता है कि भगवान शिव आज भी राजाधिराज महाकाल के रूप में साक्षात विराजमान है। यही वजह है कि एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
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भगवान महाकाल की सवारी की परंपरा कैसे शुरू हुई
उज्जैन के लोग भगवान महाकाल को अपना राजा मानते हैं। जब भगवान महाकाल की पालकी की सवारी के दौरान शहर का भ्रमण करते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि भगवान अपने भक्तों की कुशलक्षेम पूछने के लिए शहर में घूमते हैं। यह परंपरा बहुत पुरानी नहीं है, इसकी शुरुआत सिन्धिया राजवंश ने की थी। रियासत काल में उज्जैन पर सिन्धिया राजवंश का आधिपत्य था। उस समय सिंधिया परिवार के विद्वानों ने भगवान और भक्तों के बीच की दूरी को कम करने के लिए इस परंपरा की शुरुआत की थी, जो आज भव्य रूप ले चुकी है। आज भी महाकाल की आखिरी सवारी पर सिंधिया परिवार का कोई न कोई सदस्य बाबा महाकाल की आरती करने जरूर आता है।
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साल 2023 में बाबा महाकाल की सवारी- जाने तारीख
- पहली सवारी- 10 जुलाई
- दूसरी सवारी- 17 जुलाई को
- तीसरी सवारी- 24 जुलाई को
- चौथी सवारी- 31 जुलाई को
- पांचवी सवारी- 7 अगस्त को
- छठी सवारी- 14 अगस्त को
- सातवीं सवारी- 21 अगस्त को
- आठवीं सवारी- 28 अगस्त को
- नौवीं सवारी- 4 सितंबर को
- आखिरी शाही सवारी- 11 सितंबर को
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